लेखनी कहानी -09-Apr-2024
भारतीय संस्कृति और नव संवत्सर का उल्लास) भारतीय संस्कृति और परंपराओं में नव उल्लास का वैभव बिखेरते हुए, हम नव संवत्सर का स्वागत चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को करते हैं । हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार ,चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि रचना प्रारंभ की । ऐसी परंपरा कहे या मान्यता, कि अयोध्या में श्री राम जी का विजयोत्सव चैत्र प्रतिपदा के दिन घर-घर में मनाया जाता है, और प्रतीक स्वरूप इस दिन अयोध्या नगरी में प्रत्येक घर के द्वार पर धर्म ध्वजा फहराई जाती है। किसी का भी प्रारंभ हमारे भीतर उत्साह और उमंग भरने वाला होता है । प्रत्येक प्रारंभ किए गए कार्य के साथ सुखद संभावनाएं स्वयं हमारे मन मस्तिष्क में प्रस्फुटित होती हैं । हमारी भारतीय संस्कृति अपने कार्यों के सर्जन से पूर्व प्रभु की आराधना कर, अपने आप को मानसिक रूप में प्रभु को समर्पित कर अपने कल्याण की आशा करती है। प्रत्येक नए कार्य के आरंभ पर अपने लोगों की शुभेच्छा , हमारी भारतीय संस्कृति की प्रतिष्ठा है । चैत्र प्रतिपदा तो भारतीय संस्कृति की भव्यता की द्योतक है। ब्रह्मा जी ने आज सृष्टि का प्रारंभ किया ।हमारी संस्कृति सबसे अधिक प्राचीन और विस्तृत है । सदियों से हमारे भीतर अपने संस्कार ,अपनी परंपराओं का निर्वाह करते हुए स्वयं प्रस्तुत होते जा रहे हैं । आज भी भारतीय संस्कृति का बीज सूत्र अनुशासन और आपसी सौहार्द का सूत्र हमारे एकजुट होने का प्रमाण है। प्रकृति का स्वरूप इस माह उसके उल्लसित होने का द्योतक है । पतझड़ के बाद नई-नई कोपलों के आने का स्वागत करते हुए ,पेड़ पौधों की प्रत्येक डाल नव वर्ष मनाने को उत्साहित सी दिखाई देती है प्रकृति। नव संवत्सर में दो रितुओं का मिलन और साहचर्य की भावना को प्रकाशित करता है ,और आने वाले दिनों की उष्णता स्वीकार करने के लिए प्रेरित कर अपने समय चक्र को बताता है । कितना सुंदर संजोग होता है ,जब हम उन दिनों में प्रवेश करने वाले होते हैं ,जब प्रकृति अपने पुराने पत्तों का पतझड़ कर नई कोपलों को विकसित कर ,हमारे लिए शीतलतादायी हरीतिमा को विकसित कर रही होती है । धीरे-धीरे सभी वृक्ष पत्तों से आच्छादित होकर हमें छाया प्रदान करने के लिए स्वयं को तैयार करते हुए से प्रतीत होते हैं । हिंदू संस्कृति के नव संवत्सर के साथ ही मां दुर्गा अपने नव स्वरूपों को धारण कर हमें आशीर्वाद देने के लिए घर-घर में पधारती हैं । भारतीय संस्कृति में नवरात्रि का विशेष और भव्य स्थान है । प्रत्येक घर में श्रद्धालु चैत्र नवरात्रि में मां के स्वरूपों का स्वागत में मां की महिमा को व्यक्त करते हुए भजन कीर्तन कर मां की दिव्य दृष्टि पाने के लिए लालायित रहते हैं । अगर हम यह कहें कि नव संवत्सर उत्सव को हम मां की कृपा के साथ नौ दिन तक आनंद रस में मग्न होकर मनाते हैं तो गलत ना होगा। कितनी भी आधुनिकता की चादर हम ओढलें पर नव संवत्सर के साथ नवरात्रि का उत्सव और कन्या पूजन हमारी संस्कृति और परंपरा का आधार स्तंभ है । आप सभी को नव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएं।
जया शर्मा प्रियवंदा
Mohammed urooj khan
15-Apr-2024 11:56 PM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
Reply
kashish
11-Apr-2024 08:41 AM
Awesome
Reply
Varsha_Upadhyay
10-Apr-2024 11:30 PM
Nice
Reply